बंद

    सर्वोत्तम प्रथाएं

    नवाचार – बाधाओं को तोड़ समावेशिता की और अग्रसर   –

    1.फलान्तराल

    स्वस्थ मस्तिष्क और स्वस्थ शरीर किसी भी व्यक्ति के लिए अच्छा जीवन जीने और समाज में सार्थक योगदान देने की नींव हैं। स्कूली शिक्षा छात्रों के लिए एक संपूर्ण अनुभव होनी चाहिए और उन्हें ऐसी क्षमताएँ और स्वभाव प्राप्त करने  के अवसर चाहिए जो उनके शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखें। स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2023 के अनुसार ‘स्कूल शिक्षा के उद्देश्य’ (1.2.1) की  प्राप्ति के तहत सामुहिक  स्वास्थ्य और सर्व कल्याण के लक्ष्य की प्राप्ति चहुंमुखी संभव है । क्षेत्रीय कार्यालय जयपुर के अंतर्गत पीएम श्रीकेंद्रीय विद्यालय नंबर 7 सीआईएसएफ जयपुर का मानना ​​है कि फलान्तराल विद्यार्थियों में तात्कालिक उर्जा के साथ साथ आवश्यक उर्जा की प्राप्ति हेतु भी सहायक है । इस अभिनव प्रथा को ‘फ्रूट ब्रेक’ नाम दिया है। कार्यान्वयन के तहत (एक कक्षा में कम से कम 80% छात्रों द्वारा दैनिक) प्रत्येक कक्षा में द्वितीय कालांश के पश्चात दस मिनट का फलान्तराल लागू किया गया है । अभिभावकों ने फ्रूट ब्रेक का भरपूर समर्थन किया एवं नवाचार हेतु विशेष धन्यवाद दिया।

     

    2.सांकेतिक राष्ट्रगान –   राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के शीर्षक – “6  अनुसार समतामूलक और समावेशी शिक्षा: सभी के लिए सीखना” (6.10) ”ईसीसीई और स्कूली शिक्षा प्रणाली में दिव्यांग विद्यार्थियों के समावेश और समान भागीदारी को सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।क्षेत्रीय कार्यालय जयपुर के अंतर्गत पीएम श्रीकेंद्रीय विद्यालय नंबर 7 सीआईएसएफ जयपुर का मानना ​​है कि – समावेशी शिक्षा (आ.ई.ई.) में दिव्यांगता  और सीखने की कठिनाइयों वाले बच्चों को एक ही छत के भीतर सामान्य बच्चों के साथ शिक्षित हों । यह किसी भी क्षेत्र में उनकी ताकत या कमजोरियों की परवाह किए बिना सभी छात्रों को एक कक्षा और समुदाय में एक साथ लाता है और सभी छात्रों की क्षमता को अधिकतम करने का प्रयास करता है। यह एक समावेशी और सहिष्णु समाज को बढ़ावा देने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है ।स्कूली शिक्षा में सांकेतिक भाषा में राष्टगान की शुरुआत करके क्षेत्रीय कार्यालय जयपुर के अंतर्गत पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय नंबर 7, सीआईएसएफ जयपुर ने प्रभावी संचार में आने  वाली बाधाओं को दूर किया और एक अधिक समावेशी वातावरण बनाया। प्रार्थना सभा में  सांकेतिक भाषा में राष्ट्रगान का प्रारम्भ  स्वीकृति और समझ का एक  शक्तिशाली सामाजिक संदेश है। यह दिव्यांग छात्रों को कक्षा की गतिविधियों, सामाजिक संपर्कों और पाठ्येतर कार्यक्रमों में पूरी तरह से भाग लेने की अनुमति देता है, जिससे सभी के लिए अपनेपन और समान अवसरों की भावना को बढ़ावा मिलता है। सांकेतिक भाषा मौखिक भाषा से परे प्रभावी संचार को सक्षम बनाती है। सांकेतिक भाषा सीखने से, छात्रों में संचार के विभिन्न तरीकों की गहरी समझ विकसित होती है और विभिन्न व्यक्तियों से जुड़ने की क्षमता हासिल होती है। यह सहानुभूति, सांस्कृतिक समझ और भाषाई विविधता के लिए सराहना को बढ़ावा देता है।सांकेतिक भाषा में राष्ट्रगान गाना सभी कक्षाओं में प्रार्थना  सभा में सफलतापूर्वक लागू किया गया। छात्र अपनी सुबह की सभा में इस नए बदलाव के लिए उत्साहित थे। शुरुआत में 60% छात्र उचित क्रिया और इशारों के साथ सांकेतिक भाषा में राष्ट्रगान गाने में सक्षम थे तत्पश्चात निरंतर अभ्यास द्वारा विद्यालय के सभी विद्यार्थी प्रतिदिन इसके निरंतर अभ्यास द्वारा कुशलता हासिल कर पाने में समर्थ हुए हैं ।

    फोटो गैलरी